मेरी सोच में उसे खोट नजर आता है
पर आरक्षण के झुनझुने में वोट नजर नहीं आता है
मै स्कूल में उसके हाथों की चाय रोज पीता हूँ
वो बुलाने पर भी मेरी शादी में नहीं आता है
मुझसे पहले वो रोज मंदिर में चला जाता है
कई बार मुझको भी टीका लगाता है
मेरी तरह जींस और शर्ट पहनने की
कोशिश रहती है हमेशा उसकी
मुझको भाई साब कहती है बीबी उसकी
मेने सादगी से उनके हाथों के मालपुए भी खाए हैं
5 लाख के कर्ज में भी उसे बड़ा मेरा नोट नजर आता है
में कभी खुद को ब्रह्मण नहीं कहता
बस इसी लिए ......
मेरी सोच में उसे खोट नजर आता है
पर आरक्षण के झुनझुने में वोट नजर नहीं आता है .....
पर आरक्षण के झुनझुने में वोट नजर नहीं आता है
मै स्कूल में उसके हाथों की चाय रोज पीता हूँ
वो बुलाने पर भी मेरी शादी में नहीं आता है
मुझसे पहले वो रोज मंदिर में चला जाता है
कई बार मुझको भी टीका लगाता है
मेरी तरह जींस और शर्ट पहनने की
कोशिश रहती है हमेशा उसकी
मुझको भाई साब कहती है बीबी उसकी
मेने सादगी से उनके हाथों के मालपुए भी खाए हैं
5 लाख के कर्ज में भी उसे बड़ा मेरा नोट नजर आता है
में कभी खुद को ब्रह्मण नहीं कहता
बस इसी लिए ......
मेरी सोच में उसे खोट नजर आता है
पर आरक्षण के झुनझुने में वोट नजर नहीं आता है .....
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