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Monday, December 30, 2013

"मैं अकेला हूँ"



अजनवी
है शहर
मैं
अकेला हूँ।
रास्ता अन्तहीन और
खत्म होता नहीं सफर
मैं
अकेला हूँ।
तेरी यादें
जो धूप और छाँव सी
आती थी वियावन मैं
वो भी अब
जाने गई किधर
मैं
अकेला हूँ।
सितारे
नजर आते नहीं
चाँद आता है चला जाता है
पल भर ही जाये ठहर
मैं
अकेला हूँ।
सर्द
दिन हैं उदास
रातें हैं
खामोश सरहदों के बीच
डरता है यहाँ डर
मैं
अकेला हूँ।
- सुशील गैरोला 
 ©2013

"तुम्हारा एहसास"



पलकें
बंद करता हूँ तो
पाता हूँ...तुम्हें
तुम्हारा मुस्कराना हौले से
आंखो से बतियाना
और न जाने
कितनी ही बातें
बायाँ करती हैं
तुम्हारे एहसास को
तुम्हारे......प्यार को।
तुम्हारा
पलकों की ओट से देखना
और फिर शर्मा कर छुप जाना
उन्हीं के भीतर
बहुत कुछ बता जाना
कुछ भी न जता कर
बढ़ा देता है मेरी धड़कनों को
वो रूमानी स्पर्श
दे जाता है कितना स्नेह
जीवन के अधूरेपन को भरने की
मेरे कोशिश मे यूं ही रहना
सदा साथ
तुम और तुम्हारी याद
और मैं
घुलता जाऊंगा तुम्हारे प्यार में
दूध मे मिश्री की तरह।
----- सुशील गैरोला