Total Pageviews

Sunday, September 16, 2012

मेरा वजूद ...

कल पूछ बैठा
मुझसे मेरा वजूद
तुम आज-कल दिखाई नहीं देते..!
"बिज़ी" हो क्या...?
और ये कौन सा आन्दोलन चला रहे हो...
"समतावादी"
खुद को आईने में कब से नहीं देखा..?
मैंने एक हलकी सांस ली
सोचा आज तो इसके एक-एक प्रश्न का दूंगा उत्तर
तभी किचिन से आवाज आई

" अभी तक बैठे हो! आज दूध लेने नहीं जाना है क्या...?"
वजूद हंस रहा था....
मैं उत्तर जरूर दूंगा
फिर कभी....!
                            - सुशील गैरोला



©Susheel Gairola.2012

1 comment:

  1. इन अनसुलझे सवालों की तलाश मे वजूद कुछ यू उलझ जाता है
    कि
    अपने वजूद को पाने की राह मे खुद ही भटक जाता है.....

    ReplyDelete