कल पूछ बैठा
मुझसे मेरा वजूद
तुम आज-कल दिखाई नहीं देते..!
"बिज़ी" हो क्या...?
और ये कौन सा आन्दोलन चला रहे हो...
"समतावादी"
खुद को आईने में कब से नहीं देखा..?
मैंने एक हलकी सांस ली
सोचा आज तो इसके एक-एक प्रश्न का दूंगा उत्तर
तभी किचिन से आवाज आई
मुझसे मेरा वजूद
तुम आज-कल दिखाई नहीं देते..!
"बिज़ी" हो क्या...?
और ये कौन सा आन्दोलन चला रहे हो...
"समतावादी"
खुद को आईने में कब से नहीं देखा..?
मैंने एक हलकी सांस ली
सोचा आज तो इसके एक-एक प्रश्न का दूंगा उत्तर
तभी किचिन से आवाज आई
" अभी तक बैठे हो! आज दूध लेने नहीं जाना है क्या...?"
वजूद हंस रहा था....
मैं उत्तर जरूर दूंगा
फिर कभी....!
- सुशील गैरोला
वजूद हंस रहा था....
मैं उत्तर जरूर दूंगा
फिर कभी....!
- सुशील गैरोला
©Susheel Gairola.2012
इन अनसुलझे सवालों की तलाश मे वजूद कुछ यू उलझ जाता है
ReplyDeleteकि
अपने वजूद को पाने की राह मे खुद ही भटक जाता है.....