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Tuesday, December 20, 2016

मैं जंग में हूँ।
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जंग है खुद से
और जंग है
अपने किरदार की
खोखली नुमाइश से
जंग अपनी कशमकश से
खुद में खुद को
तलाशने की आजमाइश से
जंग है मुखौटों में छुपे
अपनों को पा लेने की ख्वाइश से
जंग भीतर है जंग बाहर
जंग शांति के चाह की
हर एक गुंजाइश से
वक़्त दो मुझे कुछ
अभी मैं जंग में हूँ।
------------------------------/सुशील गैरोला© /2017/

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