बीत गया एक वर्ष और
फिर दीवा स्वप्न मे सोते,
नवीन वर्ष की आस लगाए
अपने भाग्य को रोते।
गिन गिन कर सब दुख अपने,
जोड़ रहे टुकड़े टुकड़े सपने।
नवीन वर्ष के तिथि बारों मे,
फिर से इन्हे सँजोते।।
प्रेम का मायाजाल पड़ा था,
जमाना बन दीवार खड़ा था।
पत्थर से सर टकराते सोचा,
"तुम काश हमारे होते"।
गरम गैस के गुब्बारों सा,
हंसी खुशी के फब्बारों सा।
भूल गये दुख के शूलों को,
जो निश दिन हमे चुभोते।।
पर बैभव देख सकी ना आँखें,
लूटा सबने और भर ली सांके।
पाते हम भी धन आपार,
पर अपनी मानवता को खोते॥
शांति मंत्र का जाप भूलाकर,
दुखियारों पर कहर ढहा कर।
बन बैठे हम तानाशाह,
खेत-खलियानों मे बंदूकें बोते ।।
इस नवीन गीत को मिलकर गायें,
आओ एक संकल्प उठाएँ।
बीत जाये न ये वर्ष भी,
स्वप्नों की माला को पिरोते।।
बीत गया एक वर्ष और,
फिर दिवास्वप्न मे सोते।
नवीन वर्ष की आस लगाए,
अपने भाग्य को रोते।।
नूतन वर्ष 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
-सुशील गैरोला©2014
फिर दीवा स्वप्न मे सोते,
नवीन वर्ष की आस लगाए
अपने भाग्य को रोते।
गिन गिन कर सब दुख अपने,
जोड़ रहे टुकड़े टुकड़े सपने।
नवीन वर्ष के तिथि बारों मे,
फिर से इन्हे सँजोते।।
प्रेम का मायाजाल पड़ा था,
जमाना बन दीवार खड़ा था।
पत्थर से सर टकराते सोचा,
"तुम काश हमारे होते"।
गरम गैस के गुब्बारों सा,
हंसी खुशी के फब्बारों सा।
भूल गये दुख के शूलों को,
जो निश दिन हमे चुभोते।।
पर बैभव देख सकी ना आँखें,
लूटा सबने और भर ली सांके।
पाते हम भी धन आपार,
पर अपनी मानवता को खोते॥
शांति मंत्र का जाप भूलाकर,
दुखियारों पर कहर ढहा कर।
बन बैठे हम तानाशाह,
खेत-खलियानों मे बंदूकें बोते ।।
इस नवीन गीत को मिलकर गायें,
आओ एक संकल्प उठाएँ।
बीत जाये न ये वर्ष भी,
स्वप्नों की माला को पिरोते।।
बीत गया एक वर्ष और,
फिर दिवास्वप्न मे सोते।
नवीन वर्ष की आस लगाए,
अपने भाग्य को रोते।।
नूतन वर्ष 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
-सुशील गैरोला©2014
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